D Gukesh: ऐतिहासिक जीत का सफर और शतरंज की दुनिया में नया सितारा

Author name

13/12/2024

---Advertisement---

D Gukesh: ऐतिहासिक जीत का सफर और शतरंज की दुनिया में नया सितारा

By Anmol Tech

Updated on:

Follow Us
---Advertisement---

परिचय
भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने सिंगापुर में वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि उन्हें न केवल विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरा भारतीय चैंपियन बनाती है, बल्कि यह उन्हें 18 साल की उम्र में यह खिताब जीतने वाला सबसे कम उम्र का खिलाड़ी भी बनाती है। आइए, उनके संघर्ष, समर्पण, और इस ऐतिहासिक जीत के सफर पर नजर डालते हैं।

431bd6139cd2cab5f2d92782604775ad4373663418032196528
डी गुकेश ने सिंगापुर में वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच

ऐतिहासिक जीत: सपना बना हकीकत

चेन्नई के 18 वर्षीय डी गुकेश ने चीन के डिंग लिरेन को हराकर शतरंज के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया। इस जीत के बाद वह पाँच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद के बाद इस मुकाम को हासिल करने वाले दूसरे भारतीय बन गए। जीत के बाद गुकेश ने कहा,

“यह पल ऐसा लग रहा है जैसे मैंने इसे लाखों बार जी लिया है। इस ट्रॉफी को थामना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सपना था।”

ट्रॉफी छूने से क्यों किया मना?

गुकेश की जीत का जश्न ट्रॉफी छूने से शुरू नहीं हुआ। उन्होंने इसे शाम के समापन समारोह तक न छूने का निर्णय लिया। उनके अनुसार, वह चाहते थे कि ट्रॉफी उनके लिए विशेष बनी रहे और इसे उचित समय पर ग्रहण करें।

अंततः फिडे अध्यक्ष अर्काडी ड्वोर्कोविक ने उन्हें ट्रॉफी प्रदान की। इसके साथ ही, फिडे ने गुकेश के ‘असाधारण संतुलन’ और ‘प्रेरणादायक प्रदर्शन’ की भी प्रशंसा की।

गुकेश की प्रेरणा: नई पीढ़ी के लिए आदर्श

गुकेश की इस उपलब्धि ने भारतीय शतरंज में नई ऊर्जा भर दी है। फिडे जोनल अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा,

“गुकेश की सफलता आने वाले समय में नई पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। हमारी तैयार की गई नींव अब एक विशाल संरचना का रूप ले रही है।”

शतरंज ओलंपियाड में भारत का प्रदर्शन पहले ही दुनिया भर में पहचान बना चुका है, और गुकेश की जीत ने इसे और मजबूत किया है।

गूगल का खास डूडल

गुकेश की इस जीत को गूगल ने भी खास अंदाज में मनाया। एक एनीमेटेड डूडल में शतरंज के मोहरों को गूगल के सिग्नेचर रंगों में दिखाया गया। डूडल पर क्लिक करते ही एक डेडिकेटेड पेज “Celebrating Chess” खुलता है, जो इस खेल की सुंदरता और इसके 64 वर्गीय बोर्ड को सम्मानित करता है।

सपनों को हकीकत बनाने का सफर

गुकेश की यह यात्रा किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं। उन्होंने अपने खेल में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हर मुश्किल को पार करते हुए दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय शतरंज के खिलाड़ी किसी से कम नहीं। उनकी मेहनत, दृढ़ता और विजयी मानसिकता युवाओं के लिए मिसाल है।

निष्कर्ष


डी गुकेश की यह ऐतिहासिक जीत न केवल भारतीय शतरंज को विश्व पटल पर नई ऊंचाई पर ले गई, बल्कि यह भारत के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी। यह सफलता हमें याद दिलाती है कि कड़ी मेहनत और जुनून से सपनों को हकीकत में बदला जा सकता है।

---Advertisement---

Related Post

Leave a Comment